वेस्टइंडीज के त्रिनिदाद में दात्रेय मंदिर में 26 मीटर ऊंची हनुमानजी की मूर्ति स्थापित है। इस मंदिर की स्थापना 1981 में अवधूत दत्तापीठम (मैसूर) के पीठाधीश स्वामी गणपति सच्चिदानंद ने की थी। यह वेस्टइंडीज में रहने वाले भारतीय मूल के लोगों के बीच में आस्था का केंद्र है।
- कार्यसिद्धि हनुमान प्रतिमा नाम से मशहूर यह मंदिर त्रिनिदाद के कारापिचैमा नामक स्थान पर है। एक खंभे के ऊपर खड़ी बजरंगबली की इस विशालकाय प्रतिमा का 2011 में अनावरण किया गया था। यह हनुमान मूर्ति भारत के बाहर समूचे विश्व की सबसे बड़ी मूर्ति है। यहां की भव्यता देखने के लिए हर साल लाखों की तादाद में लोग आते हैं|
मंदिर में दिखती है द्रविड़ शैली की वास्तुकला
इस विशाल मूर्ति के चारों ओर परिक्रमा करना बेहद शुभ माना जाता है। इसे तैयार करने के लिए तमिलनाडु से 20 शिल्पकारों को बुलाया गया था । इन कारीगरों ने 2 साल में हनुमान जी की इस मूर्ति को तैयार किया गया था । मंदिर की संरचना में दक्षिण भारत की वास्तुकला द्रविड़ शैली नजर आती है जो कि बेहद खूबसूरत है। मंदिर के अंदर का हिस्सा सात चरणों में बंटा हुआ है। इसकी दीवारों पर भारतीय शास्त्रीय वाद्य यंत्रों को बजाते हुए कलाकारों की तस्वीर को उकेरा गया है, जो सात अलग-अलग रंगो मे हैं। इन तस्वीरों को देखकर ऐसा लगता है जैसे वह मंदिर में आने वाले भक्तों के स्वागत में प्रस्तुति दे रहे हैं।
अंदर हैं कई छोटे मंदिर
मंदिर में मंगलवार और शनिवार को विशेष पूजन का आयोजन किया जाता है, जिसमें बड़ी संख्या में लोग शामिल होते हैं। इसके अलावा हनुमान जयंती और अन्य त्योहारों व शुभ अवसरों पर लोग पूजन के लिए यहां आते हैं। मंदिर के बाहर दो हाथियों की मूर्ति लगी हुई है, जिनकी सूंड से निकलने वाले पानी से श्रदालु मंदिर में जाने से पहले अपने पैरों को धोते हैं। मुख्य मंदिर के अंदर कई छोटे मंदिर भी बनाए गए हैं। इनमें दात्रेय और शिव भगवान के मंदिर प्रमुख हैं।